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नया चुनाव लड़ने की हिम्मत नही इसलिए रूके है जेसीसीजे में 

 

बिलासपुर। एक तरफ मरवाही में 3 नवंबर को मतदान होना है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायकों में कंाग्रेस प्रेवश को लेकर खूल कर मदभेद सामने आ गया है। पार्टी में अजीत जोगी को मिलाकर पांच विधायक थे।

श्री जोगी की मृत्यु के बाद चार बचे। इनमें से धरमजीत सिंह, श्रीमति रेणु जोगी, देवरत सिंह और मनोज शर्मा वर्तमान में विधायक है। विधानसभा चुनाव के बाद से देवरत की निष्ठा जिस चुनाव चिन्ह वे जीते उससे ज्यादा पंजे के प्रति दिखाई देती है। यही हाल प्रमोद शर्मा का भी है। राजनैतिक प्रक्षेकों का मानना है कि अजीत जोगी की क्षवि के सामने दल बदल की हिम्मत नही होती थी। किन्तु अब ऐसा नही है, प्रदेश में कांग्रेस के पास अभी 69 विधायक है। ऐसे में 90 की विधानसभा में कांग्रेस को और विधायकों को कोई जरूरत ही नही है। किन्तु हाईकमान की नजर में स्वयं को ऊंचा उठाना कौन नही चाहता। मरवाही प्रभारी जय सिंह अग्रवाल ने जब जेसीसीजे के तीन विधयाकों को कांग्रेस में प्रवेश के इच्छुक कहा तो धरमजीत ने अपनी स्थिति तुरंत जाहिर कर दी, और बता दिया की वे कांग्रेस में नही जो रहा है। बस यहीं पर दल बदल का पेंच है। कुल चार विधायक में से तीन यदि दल बदले तो दुबारा चुनाव नही होता। यदि दो ने पार्टी छोड़ी तो विधायकी खतरे में पड़ जाएगी। इसी बात के कारण अमित जोगी ने कहा की, जिसे दल बदल करना हो वह विधायकी से त्याग पत्र देदे और भी फिर नए राजनैतिक दल में प्रवेश करें। कहने वाले तो यहां तक दावा करते है कि श्रीमति रेणु जोगी भी कांग्रेस में जा सकती है। किन्तु जिस तरह से कंाग्रेस के बड़े नेता अजीत जोगी के संबध में ओछी बयान बाजी करते है,  इस बात की सम्भावना नजर नही आती।
 


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